Former Goa RSS chief calls for DNA test of Saint Francis Xavier’s relics, kicks up a storm
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गोवा के पूर्व आरएसएस प्रमुख ने सेंट फ्रांसिस ज़ेवियर के अवशेषों की डीएनए जांच की मांग की, विवाद खड़ा किया

गोवा का धार्मिक परिदृश्य अपनी अनूठी परंपराओं और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है। हाल ही में, गोवा के पूर्व आरएसएस प्रमुख सुभाष वेलिंगकर द्वारा सेंट फ्रांसिस ज़ेवियर के अवशेषों की डीएनए जांच की मांग ने व्यापक बहस छेड़ दी है। यह बयान धार्मिक समूहों, इतिहासकारों और आम जनता के बीच गंभीर चर्चा का विषय बन गया है।

सेंट फ्रांसिस ज़ेवियर कौन थे?

सेंट फ्रांसिस ज़ेवियर कैथोलिक धर्म में अत्यधिक सम्मानित संतों में से एक हैं, विशेषकर गोवा में, जहाँ उनके शरीर को सदियों से संरक्षित रखा गया है। उन्हें “इंडीज़ के प्रेरित” के रूप में जाना जाता है और उन्होंने एशिया, विशेष रूप से भारत और जापान में ईसाई धर्म के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

सेंट फ्रांसिस ज़ेवियर के अवशेष

सेंट फ्रांसिस ज़ेवियर के अवशेषों को सदियों से पूजा जाता रहा है। उनके शरीर को भ्रष्ट न मानते हुए, इसे दुनिया भर से आए तीर्थयात्रियों द्वारा सम्मानित किया जाता है। हर दस वर्षों में, गोवा में इन अवशेषों को सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किया जाता है ताकि भक्त उन्हें श्रद्धांजलि दे सकें।

सुभाष वेलिंगकर का विवादास्पद बयान

गोवा के पूर्व आरएसएस नेता और प्रमुख व्यक्तित्व, सुभाष वेलिंगकर ने हाल ही में सेंट फ्रांसिस ज़ेवियर के अवशेषों की डीएनए जांच कराने का सुझाव देकर धार्मिक और राजनीतिक माहौल को गर्म कर दिया है। उनका तर्क है कि यह पता लगाया जाए कि ये अवशेष वास्तव में वास्तविक हैं या नहीं।

डीएनए जांच की मांग क्यों?

वेलिंगकर के अनुसार, अवशेषों की प्रामाणिकता को कभी वैज्ञानिक रूप से जांचा नहीं गया है। उनके अनुसार, इस जांच से यह साबित हो सकेगा कि ये अवशेष वास्तव में सेंट फ्रांसिस ज़ेवियर के हैं या नहीं। इस बयान ने विभिन्न समुदायों में तीखी प्रतिक्रिया उत्पन्न की है, और धार्मिक नेताओं ने इसे आस्था के प्रति अपमानजनक बताया है।

कैथोलिक चर्च की प्रतिक्रिया

कैथोलिक चर्च ने इस मांग पर तीव्र प्रतिक्रिया व्यक्त की है। चर्च के नेताओं ने इसे “धर्मनिंदा” करार दिया है और इसे आस्था का अपमान बताया है। उनका कहना है कि अवशेषों की पवित्रता विज्ञान की नहीं, बल्कि आस्था की बात है।

आस्था बनाम विज्ञान

यह विवाद आस्था और विज्ञान के बीच के संघर्ष को उजागर करता है। जहाँ विज्ञान प्रमाण और तथ्यों के माध्यम से दुनिया की व्याख्या करता है, आस्था अक्सर आध्यात्मिक और अनजान क्षेत्रों में होती है। सेंट फ्रांसिस ज़ेवियर जैसे अवशेषों की जांच का सुझाव इस तनाव को और गहरा करता है।

सेंट ज़ेवियर के अवशेषों का ऐतिहासिक महत्व

सेंट फ्रांसिस ज़ेवियर के अवशेष न केवल धार्मिक प्रतीक हैं, बल्कि ऐतिहासिक धरोहर भी हैं। ये अवशेष गोवा में ईसाई धर्म की लंबे समय से चली आ रही उपस्थिति का प्रतिनिधित्व करते हैं और स्थानीय संस्कृति पर इसके प्रभाव को दर्शाते हैं। सदियों से, ये अवशेष गोवा की समृद्ध धार्मिक विरासत का प्रतीक बने हुए हैं।

पूर्व विवादों के उदाहरण

यह पहली बार नहीं है कि सेंट फ्रांसिस ज़ेवियर के अवशेषों पर सवाल उठाए गए हैं। पिछले वर्षों में, इनकी प्रामाणिकता को लेकर कई बार विवाद हुआ है। हालांकि, हर बार कैथोलिक समुदाय ने अपनी आस्था में मजबूती दिखाई है।

गोवा में आरएसएस की भूमिका

आरएसएस, एक हिंदू राष्ट्रवादी संगठन है, जो अक्सर गोवा में कैथोलिक समुदाय के साथ विवादों में रहा है। वेलिंगकर का बयान दोनों समुदायों के बीच संबंधों में तनाव पैदा कर सकता है। कई लोग इसे कैथोलिक समुदाय को उकसाने का प्रयास मानते हैं।

राजनीतिक निहितार्थ

गोवा का धार्मिक जनसांख्यिकी सदैव संवेदनशील रहा है। वेलिंगकर का यह बयान ऐसे समय आया है जब हिंदू और ईसाई समुदायों के बीच पहले से ही तनाव है। डीएनए जांच से यह विवाद और गहरा सकता है।

जनता की प्रतिक्रिया

वेलिंगकर के बयान पर जनता की प्रतिक्रिया मिश्रित रही है। जहाँ कैथोलिक समुदाय के कई लोग इस पर नाराजगी जता रहे हैं, वहीं कुछ लोग इसे सही ठहरा रहे हैं। उनके अनुसार, वैज्ञानिक जांच से अवशेषों की प्रामाणिकता पर कोई संदेह समाप्त हो सकता है।

FAQs

1. सेंट फ्रांसिस ज़ेवियर कौन थे?

सेंट फ्रांसिस ज़ेवियर एक कैथोलिक मिशनरी थे, जिन्होंने एशिया में ईसाई धर्म के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके अवशेष गोवा में संरक्षित हैं और उन्हें संत के रूप में पूजा जाता है।

2. कैथोलिक धर्म में अवशेष क्या होते हैं?

अवशेष संतों के शारीरिक अवशेष या उनके व्यक्तिगत वस्त्र होते हैं, जिन्हें धार्मिक दृष्टि से पवित्र माना जाता है और श्रद्धा से पूजा जाता है।

3. डीएनए जांच विवादास्पद क्यों है?

सेंट ज़ेवियर के अवशेषों पर डीएनए जांच को लेकर विवाद इसलिए है क्योंकि यह लाखों लोगों की गहरी धार्मिक मान्यताओं को चुनौती देता है, जो आस्था के आधार पर इन अवशेषों को पूजते हैं।

4. कैथोलिक चर्च का डीएनए जांच पर क्या रुख है?

कैथोलिक चर्च ने डीएनए जांच की मांग की कड़ी निंदा की है, इसे आस्था के प्रति असम्मानजनक और अपमानजनक माना है।

5. इस विवाद का गोवा की धार्मिक समरसता पर क्या असर हो सकता है?

यह विवाद गोवा में हिंदू और कैथोलिक समुदायों के बीच संबंधों को और तनावपूर्ण बना सकता है, जिससे धार्मिक विभाजन गहरा सकता है।

निष्कर्ष

सेंट फ्रांसिस ज़ेवियर के अवशेषों की डीएनए जांच की मांग ने गोवा में तीखी बहस छेड़ दी है। जहाँ कुछ लोग वैज्ञानिक सत्यापन का समर्थन करते हैं, वहीं कई इसे आस्था पर हमला मानते हैं। इस विवाद का परिणाम जो भी हो, इसने आज की दुनिया में आस्था और विज्ञान के बीच नाजुक संतुलन को उजागर कर दिया है।

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